उत्तराखंड : अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस के उपलक्ष्य में कैंसर के प्रति वृद्ध लोगों को किया जागरुक
उत्तराखंड : अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस के उपलक्ष्य में कैंसर के प्रति वृद्ध लोगों को किया जागरुक
अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस के उपलक्ष्य में कैंसर के प्रति वृद्ध लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य से एम्स ऋषिकेश में पब्लिक लैक्चर आयोजित किया गया। मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग, वृद्ध कैंसर चिकित्सा क्लिनिक और वृद्ध काय चिकित्सा विभाग के की ओर से आयोजित कार्यक्रम में कहा गया कि कैंसर लाइलाज बीमारी नहीं है। समय रहते इसका इलाज शुरू कर दिए जाने से इस पर विजय प्राप्त की जा सकती है।
एम्स ऋषिकेश के मेडिकल ऑन्कोलॉजी तथा जेरियाट्रिक मेडिसिन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पब्लिक लैक्चर कार्यक्रम में कैंसर विशेषज्ञों ने कैंसर बीमारी के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। वक्ताओं ने बताया कि कैंसर अब लाइलाज बीमारी नहीं है। स्क्रीनिंग के माध्यम से इसका समय रहते पता लगाया जा सकता है। ऐसे में यदि तत्काल उपचार शुरू कर दिया जाए तो कैंसर की बीमारी को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।
संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने बताया कि मेडिकल साइंस की विकसित होती तकनीकों से अब कैंसर का उपचार संभव है। उन्होंने कहा कि कैंसर से डरने के बजाए इसके प्रति जागरुक रहकर हम इसे हरा सकते हैं। कैंसर का इलाज सुलभ और सस्ता है। उन्होंने बताया कि बायोमार्कर टेस्ट की मदद से महिलाओं में कैंसर का समय पर पता लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति विशेष तौर से जागरुक रहना होगा। डीन एकेडेमिक प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने कैंसर के इलाज में समय की महत्ता बताई और कहा कि बीमारी बढ़ने से पहले उसकी समय रहते उचित जांच और इलाज कराना बेहद जरूरी है।
पब्लिक लैक्चर में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के चिकित्सा विशेषज्ञों ने शरीर में कैंसर के बनने, उसके लक्षणों, कैंसर के प्रकार, उसकी स्टेज और बीमारी के निदान के बारे में विस्तृत जानकारियां साझा कीं। मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. दीपक सुन्दरियाल ने बताया कि एम्स में वृद्धजनों के लिए विशेष तौर से कैंसर क्लीनिक का संचालन किया जा रहा है। हमारा उद्देश्य है कि कैंसर को हराकर प्रत्येक व्यक्ति का जीवन खुशहाल बनाया जा सके। जेरियाट्रिक मेडिसिन विभाग की हेड प्रो. मीनाक्षी धर ने बताया कि जागरुकता से ही बीमारी से बचाव संभव होगा। कहा कि वर्तमान दौर में अपने स्वास्थ्य और कैंसर बीमारी के प्रति सचेत रहकर इससे बचाव किया जा सकता है।
कार्यक्रम के दौरान संस्थान की कार्यकारी निदेशक और डीन एकेडेमिक द्वारा कैंसर से लड़ाई जीत चुके कुछ लोगों को सम्मानित भी किया गया। बताया गया कि फेफड़ों, पेशाब की थैली, बड़ी आंत और स्तन में कैंसर बनने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं। इसके अलावा महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर भी अब बहुतायत में देखने को मिल रहा है। इसके लिए आनुवांशिक कारणों के अलावा जीवन शैली में बदलाव और पर्यावरणीय कारण प्रमुख हैं। इसके लिए योगा, प्राणायाम, मेडिटेशन करने की सलाह दी गई। साथ ही नशीले पदार्थ, तम्बाकू उत्पादों और अल्कोहल का त्याग करने को कहा गया। जीवनशैली में बदलाव लाकर मोटा अनाज का सेवन करने और भरपूर नींद जरूरी बताई गई। विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना था कि कैंसर का पता लगाने के लिए स्क्रीनिंग करवाना बहुत जरूरी है। जानकारी दी गई कि महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए 15 वर्ष से कम उम्र की किशोरियों को एचपीवी का टीका लगाना चाहिए।
कार्यक्रम को जेरियाट्रिक मेडिसिन विभाग की डॉ. मोनिका पठानिया, एसआर. डॉ. मृदुल, जेआर.डॉ. सिद्धार्थ, डॉ. नीतू आदि ने भी संबोधित किया।
उत्तरांचल क्राइम न्यूज़ के लिए देहरादून से ब्यूरो रिपोर्ट |