उत्तराखंड में बन रहे सेनिटाइजर में गड़बड़झाला, रिपोर्ट में हुआ खुलासा
शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। उत्तराखंड में बन रहे सेनिटाइजर में मानकों की भारी अनदेखी की जा रही। इसका खुलासा स्पेक्स संस्था की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट में 50 प्रतिशत नमूने फेल पाए गए हैं, जो कि गंभीर मामला है। मानकों की अनदेखी कर बन रहे सेनिटाइजर से लोगों को नुकसान पहुंच रहा है। स्पेक्स के सचिव बृजमोहन शर्मा व उनकी टीम ने बुधवार (आज) को उत्तरांचल प्रेस क्लब में मीडिया से सेनिटाइजर के सम्बन्ध में जानकारी साझा की। बृजमोहन शर्मा ने बताया कि स्पेक्स ने मई-जून में उत्तराखंड के सभी जिलों में सेनेटाइजर टेस्टिंग अभियान-2021 चलाया, 1050 नमूने एकत्र किये, जिसमे 578 नमूनों में एलकोहॉल की प्रतिशत मात्रा मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए।
महामारी से बचने का मूल मंत्र भारत सरकार व अन्य स्वस्थ सम्बन्धी संस्थाओ ने यही समझाया की दिन में बार-बार एलकोहॉल वाले सेनेटाइजर से हाथ साफ़ करने से कोरोना जैसे वायरस से बचाव संभव है । इस सुझाव के कारण बाजार में इसकी मांग बढ़ गयी, कुछ लोगो ने इसमें मानकों की अनदेखी करके सेनेटाइजर बाजार में बेचने शुरू कर दिए। इस प्रक्रिया को समझने के उद्देश्य से स्पेक्स ने अपने साथियो के साथ मिलकर उत्तराखंड के प्रत्येक जिले में अध्धयन (3 मई से 5 जुलाई 2021 तक) किया। नमूनों में एलकोहॉल परसेंटेज के साथ हाइड्रोजन पेरोक्साइड, मेथेनॉल और रंगो की गुणवत्ता का परिक्षण अपनी प्रयोगशाला में किया। यह प्रयोगशाला विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार ने प्रदान की थी ।
अध्धयन में निम्न परिणाम प्राप्त हुए
-लगभग 56% सेनेटाइजर में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए यानि 1050 नमूनों में 578 नमूने फ़ैल पाए गए
-8 नमूनों में मेथेनॉल पाया गया
-लगभग 112 नमूनों में हाइड्रोजन पेरोक्साइड का प्रतिशत मात्रा मानकों से अधिक पायी गयी
-लगभग 278 नमूनों में टॉक्सिक रंग पाए गए.
-अल्कोहल की प्रतिशत मात्रा ६०-८० प्रतिशत होना चाहिए
-हाइड्रोजन पेरोक्साइड की मात्रा 0.5 परसेंट से ज्यादा न हो
-मेथनॉल नहीं होना चाहिए।
-अल्मोड़ा जिले में 56% , बागेश्वर में 48%, चम्पावत में 64% , पिथौरागढ़ में 49% , उधम सिंह नगर 56 % , हरिद्वार 52 % , देहरादून 48 % , पौड़ी में 54 % , टिहरी में 58% , रुद्रप्रयाग में 60%, चमोली में 64%, उत्तरकाशी में 52%, नैनीताल में 56 % एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं था,
जिलावार परिक्षण रिपोर्ट
अल्मोड़ा जिले में 56% नमूने फेल पाए गए जिसमे जाँच करने पर 10% वाले एलकोहॉल के 7 नमूने ,15%-8 नमूने ,30%-11,50% -6,60%-5,65%- 9,72%- 10 तथा 2 नमूनों में हाइड्रोजन पेरोक्साइड की मात्रा अधिक थी
बागेश्वर में 50 नमूनों में 24 नमूने फेल पाए गए यानि 48% नमूनों में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं था. 10% – 3 नमूने ,15%-2,35% -6,60%-4,65%- 6. 72%- 3 नमूने पाए गए.
चम्पावत में 50 नमूनों में 32 नमूने फेल पाए गए यानि 64% नमूनों में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं था. 10% – 5 ,30%-8,50% -5,60%-4,65%- 4,72%- 6 नमूने पाए गए.
पिथौरागढ़ में 100 नमुनो में 49 नमूने फेल पाए गए यानि 49 % नमूनों में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं था. 10% – 7 नमूने,15%-7,30%-9,50% -4,60%-6,65%- 6,72%- १० नमूने पाए गए.
उधम सिंह नगर में 100 नमुनो में 56 नमूने फेल पाए गए यानि 56 % नमूनों में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं था. 10% – 6 नमूने,15%-5,30%-5,50% -8,60%-10,65%- 12,72%- 10 नमूने पाए गए.
हरिद्वार में 100 नमुनो में 52 नमूने फेल पाए गए यानि 52 % नमूनों में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं था. 10% – 13 ,40%-7,50% -8,60%-6,65%- 8,72%- 7,80%- 4 नमूने पाए गए.
देहरादून में 100 नमुनो में 48 नमूने फेल पाए गए यानि 48 % नमूनों में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं था. 10% – 15,15%-5,30%-8,50% -5,60%-4,65%- 7,72%- 6नमूने पाए गए.
पौड़ी में 5० नमुनो में 27 नमूने फेल पाए गए यानि 54 % नमूनों में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं था. 10% – 7 ,30%-8,50% -3,60%-4,72%- 5 नमूने पाए गए.
टिहरी में 5० नमुनो में 29 नमूने फेल पाए गए यानि 58% नमूनों में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं था. 10% – 7 , 30%-8,50% -3, 60%-4,72%- 5 नमूने पाए गए.
रुद्रप्रयाग में 100 नमुनो में 60 नमूने फेल पाए गए यानि 60% नमूनों में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं था. 10% – 14 ,15%-7,30%-6,50% -12,60%-6,65%- 10,72%- 6 नमूने पाए गए.
चमोली में 50 नमुनो में 32 नमूने फेल पाए गए यानि 64% नमूनों में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं था. 10% – 6 ,30%-8,50% -5,60%-3 ,72%- 10 नमूने पाए गए.
उत्तरकाशी में 100 नमुनो में 52 नमूने फेल पाए गए यानि 52% नमूनों में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं था. 10% – 7 ,15%-10,30%-7,50% -5,60%-7,65%- 6, 72%- 10 नमूने पाए गए.
सेनेटाइजर में एलकोहॉल की प्रयाप्त मात्रा न होने से बढ़ी कोरोना के मरीजों की संख्या
सेनेटाइजर में एलकोहॉल की प्रयाप्त मात्रा न होने के कारण भी उत्तराखंड में कोरोना के मरीजों की संख्या सायद बढ़ी हो. कृत्रिम रंग आपकी त्वचा पर जो विषाक्त पदार्थ छोड़ते हैं, वे आपकी संवेदनशीलता और जलन के जोखिम को बहुत बढ़ा देते हैं, इन रसायनों को आपके शरीर में अवशोषित होने देते हैं जहां वे और भी अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं। वे आपके छिद्रों को भी अवरुद्ध कर सकते हैं, जिससे मुंहासों का अधिक खतरा होता है। हाइड्रोजन पेरोक्साइड भी लिपिड प्रति ऑक्सीकरण के माध्यम से एक सीधा साइटोटोक्सिक प्रभाव डाल सकता है। हाइड्रोजन पेरोक्साइड के अंतर्ग्रहण से मतली, उल्टी, रक्तगुल्म और मुंह से झाग के साथ जठरांत्र संबंधी मार्ग में जलन हो सकती है, फोम श्वसन पथ को बाधित कर सकता है या फुफ्फुसीय आकांक्षा में परिणाम कर सकता है। मेथनॉल त्वचा को ख़राब भी कर सकता है, जिससे डर्मेटाइटिस हो सकता है। तीव्र मेथनॉल एक्सपोजर के लक्षणों में सिरदर्द, कमजोरी, उनींदापन, मतली, सांस लेने में कठिनाई, नशे, आंखों में जलन, धुंधली दृष्टि, चेतना की हानि और संभवतः मृत्यु शामिल हो सकती है।
अध्ययन टीम में नीरज उनियाल, चंद्र आर्य, राहुल मौर्य, योगेश भट्ट, डॉ. अजय कुमार, शंकर दत्त, नरेश उप्रेती, सौम्या डबराल, अर्पण यादव, सुनील राणा, आशुतोष, राम तीरथ, डॉ. शंभू नौटियाल, डॉ. गुलशन ढींगरा, अधिराज पाल (यूपीईएस के छात्र)डॉ पारुल सिंघल आदि शामिल रहे।