Fri. Nov 22nd, 2024

‘कमरे में पड़े 25 शव, लाशों से लिपटकर रोता शख्स’…सीरिया के इस परिवार का भूकंप में सब कुछ तबाह |

'कमरे में पड़े 25 शव, लाशों से लिपटकर रोता शख्स'...सीरिया के इस परिवार का भूकंप में सब कुछ तबाह |

‘कमरे में पड़े 25 शव, लाशों से लिपटकर रोता शख्स’…सीरिया के इस परिवार का भूकंप में सब कुछ तबाह |

तुर्की से सीरिया तक हर तरफ तबाही का मंजर है. भूकंप में जमींदोज हुईं इमारतों के मलबों में शवों के निकलने का सिलसिला जारी है. हजारों परिवार बेघर हो गए. सैकड़ों बच्चे अनाथ हो गए. इस विनाशकारी भूकंप में किसी ने अपना जीवनसाथी खोया तो किसी ने पूरा परिवार. ऐसे ही एक कहानी सीरिया के रहने वाले अहमद इदरीस की है |

शेल्टर होम का एक कमरा. यहां 25 शव रखे हैं. इन लाशों के बीच एक जिंदा शख्स भी है. वो कभी एक शव के पास जाता तो कभी दूसरे के पास. रोता हुआ. बिलखते हुए वो मरे हुए शख्स का नाम पुकारता और फिर उससे लिपट जाता.

इन लाशों के बीच जो जिंदा शख्स हैं, वो अहमद इदरीस है और यह दिल दहला देने वाला दृश्य सीरिया के सराकिब शहर का है. सोमवार को जो भूकंप आया था, वह इदरीस को जीवन भर का दुख दे गया. भूकंप में उनके परिवार के 25 लोगों की मौत हो गई. 
इदरीस के परिवार के 25 सदस्यों की मौत इस भूकंप में हो गई. उन्हें इस बात का विश्वास नहीं हो रहा है कि उनके साथ ये भूकंप इन दर्दनाक यादें लेकर आया. इदरीस कहते हैं, ”सीरिया में चल रहे युद्ध के चलते सराकिब पहुंचे थे. ताकि बच्चों और अपने लिए सुरक्षित शेल्टर खोज सकें. लेकिन देखिए हमारे साथ क्या हुआ, कितना अन्याय हुआ.” 

कहते हैं कि इस भूकंप में उनके परिवार के अधिकांश लोग मारे गए. इदरीस अपने मृत पोते के शव से लिपटते हुए कहते हैं कि तुमने मेरा दिल दुखाया. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे साथ ऐसा होगा. इदरीस ने कहा, मैंने अपनी बेटी खो दी, उसके दो बेटे भी. मेरी बेटी के पति का परिवार भी मारा गया. मेरे बड़े परिवार के ज्यादातर सदस्य अब नहीं रहे.
इदरीस और उनका परिवार 2012 में सराकिब में शरण लेने पहुंचे थे, शहर को 2020 में सीरियाई सेना ने फिर से अपने कब्जे में ले लिया. हम अपने और अपने बच्चों के लिए सुरक्षित शेल्टर की खोज में यहां आए थे, लेकिन देखो यहां भाग्य ने हमारा कैसे साथ दिया?
तुर्की और सीरिया में सोमवार को 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था. भूकंप का केंद्र तुर्की और सीरिया के बॉर्डर के पास था. ऐसे में तुर्की से सीरिया तक हर तरफ तबाही का मंजर है. भूकंप में जमींदोज हुईं इमारतों के मलबों में शवों के निकलने का सिलसिला जारी है. हजारों परिवार बेघर हो गए. सैकड़ों बच्चे अनाथ हो गए.सैकड़ों बच्चे अनाथ हो गए.  दोनों देशों में अब तक भूकंप से 15000 लोगों की मौत हो चुकी है.तुर्की में अब तक 12,391 लोगों की मौत हुई है, जबकि सीरिया में 2,992 लोगों ने अपनी जान गंवाई है. दोनों देशों में 11000 से ज्यादा इमारतें तबाह हुई हैं. वहीं, घायलों की तादाद भी 15000 से अधिक है.  
कहानियां और भी हैं…

इदरीस अकेले नहीं हैं, जिनसे भूकंप ने सब कुछ छीन लिया.तुर्की के रहने वाले अब्दुलालिम मुआइनी की कहानी भी कुछ ऐसी है. अब्दुलालिम को भूकंप के 48 घंटे बाद रेस्क्यू किया गया. वे और उनका परिवार मलबे में दबे थे. अब्दुलालिम की पत्नी और दोनों बेटियों की मौत हो गई.

मुआइनी अपनी पत्नी के शव के साथ दो दिन तक मलबे में फंसे रहे. अब्दुलालिम भी घायल हो गए हैं. लेकिन उन्होंने अपना पूरा परिवार इस हादसे में खो दिया. 

रेस्क्यू अभियान जारी

तुर्की और सीरिया में रेस्क्यू अभियान लगातार जारी है. अभी भी सैकड़ों परिवारों के मलबों में दबे होने की आशंका है. किन घटना के तीन दिन से ज्यादा हो गए हैं, इतना ही नहीं भूकंप प्रभावित इलाकों में ठंड भी काफी तेज पड़ रही है, ऐसे में लोगों के जिंदा निकलने की उम्मीद अब कम होती जा रही है. तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब इरदुगान ने बुधवार को प्रभावित इलाकों का दौरा किया. इस दौरान कुछ लोगों ने उनकी सरकार की आलोचना भी की और धीमे रेस्क्यू अभियान की शिकायत भी की. 

उत्तराँचल क्राईम न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट |

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *