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 जसबीर सिंह ‘हलधर’ … जिंदगी कड़े तेबर तेरे, फिर भी तू सबको भाती है!

जसबीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून, उत्तराखंड
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कविता -जिंदगी
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जिंदगी कड़े तेबर तेरे, फिर भी तू सबको भाती है!
जो जैसा है जो भी कुछ है ,तू सबको गले लगाती है!!

पिंजड़े में फँसकर देख लिया, विपदा में हँसकर देख लिया!
सौ बार नदी को पार किया, दलदल में धँसकर देख लिया!
तू मानस का हर मौके पर, भेजा भी खूब चबाती है!
जो जैसा है जो भी कुछ है, तू सबको गले लगाती है!!1!!

जागें सब तेरे संग संग, भागें सब तेरे संग संग!
साँसों का माँझा बना रखा, डोरी हैं सब तू है पतंग!
तू कब कट के गिर जाएगी, हर पग पर राज छुपाती है!
जो जैसा है जो भी कुछ है, तू सबको गले लगाती है!!2!!

तू कभी महकती बाहों में, तू कभी चहकती राहों में!
नखरे भी तेरे बहुत बड़े, तू कभी दहकती आहों में!
आँसू आँखों में खारे है, मीठी भी नींद सुलाती है!
जो जैसा जो भी कुछ है, तू सबको गले लगाती है!!3!!

लेखक की लिखी कहानी सी, नाड़ी में बहता पानी सी!
तू शकुंतला की उंगली से, खोई दुष्यंत निशानी सी!
जाने कब रंग बदल देती, हलधर ” से गीत गवाती है!
जो जैसा है जो भी कुछ है, तू सबको गले लगती है!!4!!

 

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