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Tag: पर्वतीय गांवों में सुनहरी लड़ाई

नीरज नैथानी… जब गालियां देते-देते दोनों पक्ष थक जाते तो अघोषित युद्ध विराम हो जाता

राष्ट्रीय
नीरज नैथानी रुड़की, उत्तराखंड -------------------------------------------- पर्वतीय गांवों में सुनहरी लड़ाई साथियों पिछली बार मैंने बताया था कि पहाड़ी खेतों में ओडु कई बार लड़ाई-झगड़े की जड़ हुआ करते थे। हांलाकि, ओडु के अलावा भी तमाम सारी वजहें थीं झगड़ो की। वैसे देखा जाय तो पहाड़ी व मैदानी गांव‌ के लड़ाई-झगड़ों में बुनियादी फर्क है। जहां मैदान के कतिपय गांवों में रुतबा व रुवाब जमाने के लिए या अपनी दबंगई स्थापित करने के लिए लाठी-गोलियां चल जाना आम बात है वहीं, अधिकाशंत: पहाड़ी गावों में केवल जुबानी लड़ाई से ही भड़ास निकाल लिये जाने का रिवाज है। जैसा कि आप जानते ही हैं कि पहाड़ी खेत आकार व क्षेत्रफल में बहुत छोटे होते हैं। इनमें खेती करना अत्यंत श्रम साध्य होता है। जितनी मेहनत की जाती है उस अनुपात में उत्पादन भी कतई नहीं होता है। ऊपर से तुर्रा ये कि पड़ोसी के डगंर उजाड़ खा जाएं त...