
हर वर्ष मनाते हैं पत्रकारिता दिवस! लेकिन पत्रकारों को उनके अधिकारों से क्यों किया जा रहा वंचित?
हर वर्ष मनाते हैं पत्रकारिता दिवस! लेकिन पत्रकारों को उनके अधिकारों से क्यों किया जा रहा वंचित?
* बड़ा सवाल : न ही पत्रकार सुरक्षित और न ही पत्रकारिता है आज महफूज
*मझोले एवं साप्ताहिक समाचार पत्रों को विज्ञापन देने में सरकार क्यों रहती है पीछे?
देहरादून - कहने को तो पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ दशकों में पत्रकारिता और पत्रकार की लेखनी अथवा कलम को वास्तव में कुचलने का काम जिस गति और षड्यंत्र के तहत किया गया है वह किसी पत्रकार एवं जागरूक समाज वर्ग से छिपा हुआ नहीं है |बड़े-बड़े भाषण दिए जाते हैं कि पत्रकार को अपनी लेखनी पूरी तरह से पारदर्शी रखनी चाहिए, पत्रकार को अपना दायित्व निभाना चाहिए तथा पत्रकार को कभी भी अपना साहस नहीं खोना चाहिए | यही नहीं, यह भी सलाह और भाषण दिए जाते हैं कि पत्रकार को हमेशा निडर और निर्भीक होकर अपनी पत्रकारिता को अंजाम देना चाहिए | ...