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उत्तराखंड में मुख्यमंत्री के बाद.. अब बदलेगा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष?

वीरेंद्र डंगवाल “पार्थ”


उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदलने के बाद अब भाजपा संगठन में भी नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले गढ़वाल से ब्राह्मण चेहरे की भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद पर ताजपोशी होगी। अभी कुछ समय पहले भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष और प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम के दौरे के बाद इस तरह की खबर को बल मिला। ऐसे में कुर्सी के लिए भाजपा नेताओं की दिल्ली दौड़ शुरू हो गई है। कई नेता दिल्ली में डेरा जमाये हुए हैं।

दरअसल, भाजपा के वर्तमान अध्यक्ष कौशिक चुनाव लड़ना चाहते हैं। जबकि, भाजपा की नीति के अनुसार अध्यक्ष चुनाव नहीं लड़ता। ऐसे में अध्यक्ष को लेकर नया चेहरा ढूंढा जा रहा है। फिलवक्त यह भी हो सकता है कि किसी को अभी कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया जाय। जब कौशिक चुनाव लड़ें तो उन्हें अध्यक्ष पद से हटाकर कार्यकारी को पूर्ण अध्यक्ष बाबा दिया जाय। कांग्रेस ने जिस तरह गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी देकर कार्यकारी अध्यक्ष बनाए हैं, उसके क्या फायदे व नुकसान हैं, उसको लेकर भी शीर्ष नेतृत्व विचार कर रहा है। भाजपा संगठन में यदि नेतृत्व परिवर्तन होता है तो भाजपा में कुछ ऐसे चेहरे हैं जिन पर संगठन विचार कर सकता है। ज्योति प्रसाद गैरोला, महेंद्र भट्ट, प्रकाश सुमन ध्यानी, विनोद चमोली, बृज भूषण गैरोला, सुनील उनियाल गामा के नाम पर आजकल कार्यकर्ताओं में चर्चा हो रही है।

ज्योति प्रसाद गैरोला भाजपा के चाणक्य माने जाते हैं। संगठन का लंबा अनुभव, कार्यकर्ताओं के बीच अच्छी पैठ, पूरे प्रदेश में कार्यकर्ताओं को वह समझते हैं.. पहचानते हैं। पूर्व में भाजपा संगठन महामंत्री रह चुके हैं। उन्हें जो भी जिम्मेदारी मिलती है वह बखूबी निभाते हैं। देखा जाए तो उत्तराखंड भाजपा में ज्योति गैरोला एक ऐसा नाम है जिसको संगठन की गहरी समझ है। उनके नाम पर संगठन यदि विचार करता है तो कोई हैरानी नहीं होगी।

बात करें महेंद्र भट्ट की, वर्तमान में सीमांत जनपद चमोली की बद्रीनाथ विधानसभा के विधायक है। इससे पहले वे‌ नंदप्रयाग विधानसभा के विधायक रह चुके हैं। विद्यार्थी परिषद से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत करने पर उन्होंने विद्यार्थी परिषद और भाजपा युवा मोर्चा से लेकर भाजपा संगठन में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहकर पार्टी को मजबूती प्रदान की। कार्यकर्ताओं में अच्छी पकड़ के साथ एक युवा चेहरा, साथ ही सीमांत जनपद से हैं.. लगातार सक्रिय रहते हैं। पार्टी यदि नेतृत्व परिवर्तन करती है तो उनके नाम पर जरूर चर्चा करेगी। कुछ में प्रकाश सूमन ध्यानी को लेकर भी चर्चा है। ध्यानी प्रखर वक्ता, बुद्धिजीवी के साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। पूर्व में पार्टी और सरकार में विभिन्न जिम्मेदारी को निभा चुके हैं, उनके अनुभव का फायदा पार्टी ले सकती है। लेकिन, उम्र उनके आड़े आ सकती है।

धर्मपुर के विधायक विनोद चमोली की बात करें, वह कुछ दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। चमोली नगर पालिका अध्यक्ष से लेकर 2 बार दून के महापौर रहे हैं। वर्तमान में धर्मपुर विधानसभा से विधायक हैं। पूर्व में महानगर के अध्यक्ष भी रह चुके हैं, लेकिन उनका व्यवहार, अड़ियल रवैया और देहरादून से बाहर न जाना उनकी कमजोरी है। साथ ही विधायक बनने के बाद उनकी विधानसभा में कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है, कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करना उनके लिए दिक्कत खड़ी कर सकता है। जनता में उनकी नाराजगी भी देखने को मिल रही है, उन पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप भी लग रहा है। रोहिंग्या मुसलमानों के प्रति उनका लगाव.. अपने विधानसभा में ही कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में चमोली नाकाम रहे.. तो ऐसे में पार्टी उन पर कितना भरोसा करती है.. यह देखने वाली बात होगी।

भाजपा में विभिन्न पदों पर कार्य कर चुके बृज भूषण गैरोला, जो सरल स्वभाव, कार्यकर्ताओं में अच्छी पकड़ और पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते हैं। प्रदेश में भी उनका प्रभाव है। उनका नाम भी कार्यकर्ताओं की जुबान पर है। देहरादून के वर्तमान महापौर सुनील उनियाल गामा जो युवा मोर्चा में महानगर अध्यक्ष के साथ ही प्रदेश महामंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं। प्रदेश भाजपा में मंत्री के रूप में पूरे प्रदेश भ्रमण के दौरान कार्यकर्ताओं में अपनी पहचान बनाई। उत्तराखंड के सबसे बड़े निगम में वर्तमान में महापौर के रूप में कार्य कर रहे हैं। लेकिन, महापौर होने की वजह से इस जिम्मेदारी को निभा पाएंगे। इस पर पार्टी अवश्य सोचेगी।

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