Tuesday, July 1News That Matters

Tag: नीरज नैथानी

चलो चले गांव की ओर… छठी किश्त… पलायन का दंश झेल रहे गावों में मरहम का काम कर रहे धार्मिक आयोजन

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नीरज नैथानी रुड़की, उत्तराखंड चलो चले गांव की ओर..... गतांक से आगे... छठी किश्त आज कथा सुनने के लिए मंदिर प्रांगण में बहुत भीड़ जुटी थी। हांलाकि, हमारे गांव के कुछ परिवार जिनके पास ज्यादा छुट्टियां नहीं बची थीं, वापस जा चुके थे। लेकिन, उनकी जगह कुछ नये लोग भी आ पहुंचे थे। फिर इस समय तक आस-पास के सभी गांवों में व्यास जी की प्रसिद्धि भी फैल चुकी थी कि बहुत बढ़िया कथावाचक आए हुए हैं। इस समय वे शिव शंकर जी के भगवान कृष्ण‌ के बाल स्वरूप के दर्शन करने के दृश्य का वर्णन कर रहे थे। माता यशोदा जी से शिव जी अनुनय कर रहे हैं कि मुझे अपने लल्ला के दर्शन कर लेने दे मैय्या। यशोदा जी कह रही हैं तोय देख के मोरो लल्ला डर जावेगो। इस बीच पीछे से हलचल हुयी, देखा तो गांव की कुछ लड़कियां सजी धजी पालने में एक छोटे शिशु को लेकर आ रही हैं। अरे ये तो पल्ले खोले के कुंजी का बच्चा है। सिर पर छोटा सा...

चलो चले गांव की ओर… पांचवी किश्त… अमा यार वो नत्था नहीं.. नेपालियों की कच्ची बोल रही थी…

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नीरज नैथानी रुड़की, उत्तराखंड ------------------------------------- चलो चले गांव की ओर... गतांक से आगे... पांचवी किश्त चली गयी चौकड़ी दारू पीकर पत्नी ने कमरे की सफाई करते हुए बोडा को ताना मारा। अमा यार तू भी..., साल भर में एक बार गांव आना होता है भाई बंधो के पास, दो घड़ी बैठ लिए तो कौन सा जुल्म कर दिया। बात बैठने की नहीं है ताई तमतमाते स्वर में बोली। तो फिर क्या बात है, आगबूला क्यों हो रही हो? क्या-क्या बोले जा रहे थे नशे की झोंक में, मैं बगल में सब सुन रही थी ताई का आवेश कम होने वाला नहीं लग रहा था। क्या बोला मैंने, नशे की लहर में बोडा का पौरुष भी बैकफुट में आने को तैयार न था। मैं दिलाता हूं नत्था को हरियाणा से चार जर्सी गाय, उससे कहो गाय पाले, गांव में डेरी खोले .. मैं हार्टीकल्चर व फौरेस्ट डिपार्टमेंट में भी बात करूंगा, वहां से पौध दिलवाऊंगा, उससे कहो फलदार वृक्ष लगाए,...

चलो चले गांव की ओर… चौथी किश्त… अबे बस्स कर भैजी पाणी नहीं मिलाऊंगा क्या?

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नीरज नैथानी रुड़की, उत्तराखंड चलो चले गांव की ओर...गतांक से आगे... चौथी किश्त ----------------------------------------------------------------- शाम को आरती के बाद जब चरनामृत व प्रसाद बांटा जा रहा था तो दिल्ली से आए डायरेक्टर बोडा ने चुटकी लेते हुए नत्था के बाबा नरू काका से कहा भुळा दूसरा प्रसाद लेना है तो बोल, बढ़िया ब्राण्ड की अटैची में दिल्ली से डाल लाया हूं। भैजी नेकी और पूछ पूछ हम तो बचपन से ही हर प्रकार का प्रसाद ले लेते रहे हैं आपको पता ही है, यह कहते हुए नरू काका की आंखों में चमक उभर आयी। तो थोड़ी देर में कमरे में सुट करके आ जाना और सुन वो पल्ले खोले के घुत्ता को बोल देना और उस ऐबी दिन्ना को भी, बौत दिनों बाद भै बंदो के साथ अपणी खौ-खैरी लगाएंगे, छुंई बत्ते होंगी। फिर शाम ढलते ही डायरेक्टर बोडा के पुश्तैनी मकान के लचर कमरे में महफिल जम गयी। दो पैग हलक में उतरते ही ...

चलो चले गांव की ओर… दूसरी किश्त.. अपनी जड़, जमीन से बढ़ गया लगाव

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नीरज नैथानी रुड़की, उत्तराखंड -------------------------------- चलो चले गांव की ओर...दूसरी किश्त... गतांक से आगे कई सालों से देश के विभिन्न राज्यों के अनेक शहरों में काम कर रहे हमारे गांव के लोग जब से पूजा में शामिल होने के लिए गांव आने लगे हैं उनका अपनी जड़ जमीन से लगाव बढ़ गया है। एक-दूसरे के बारे में पूछताछ हो रही है। गांव आने पर वे जिज्ञासा प्रकट करते हैं, फलाने का बड़ा वाला क्या कर रहा है? उसने बेटी ब्याह‌ दी? उसका नौकरी पर लगा? कुनबे के चाचा जी अपने भाई से गुहार लगा रहे हैं, आपकी शहर में इतनी जान पहचान है, इस छोटे को कहीं चिपकाओ, कोई कह रहा‌ है कि दोनों बिटिया सयानी हो गयीं हैं ढंग का रिश्ता बताओ? किसी की खुशामद है कि ये बिगड़ गया है सारे गांव में लफण्डरों की तरह भटकता रहता है, इसे अपने साथ ले जाओ। कोई आश्वस्त कर रहा है, अच्छा तू तैयार हो जा हमारे साथ चलेगा इस समय। कोई ...