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हरियाली को आग के हवाले कर रहे वन एवं भू माफिया!

हरियाली को आग के हवाले कर रहे वन एवं भू माफिया!

देवभूमि की सुंदरता और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने में अनेक अफसरों का भी रहा है योगदान?

देहरादून – पहाड़ का पर्यावरण असुरक्षित नजर आ आ रहा है| चारों ओर या तो पेड़ों के अवैध कटान आए-दिन हो रहे हैं, या फिर हरे भरे वृक्षों की जड़ों में आग लगाकर तथा खतरनाक रसायनिक केमिकल डालकर उनको नष्ट करने का बड़ा खेल खेला जा रहा है और इस सबके पीछे वन एवं भू माफियाओं का हाथ ही है, जिनको कि कहीं न कहीं उच्च स्तर से संरक्षण भी मिला रहता है | यही कारण है कि जंगलों में अवैध कटान तथा हरियाली को नष्ट करने अथवा कम करने की दिशा में विकास तथा स्वार्थों के नाम पर कार्य निरंतर किए जा रहे हैं | उत्तराखंड राज्य की हरियाली को काफी तेजी के साथ नष्ट करने का षड्यंत्र जिस तरह से पिछले काफी लंबे समय से रचा जा रहा है, वह वास्तव में न सिर्फ पहाड़ों की आकर्षण सुंदरता को धीरे-धीरे नष्ट करता जा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर, इंसानों एवं अन्य जीव-जंतुओं की सांसे भी निश्चित रूप से कम कर रहा है | राज्य एवं केंद्र सरकार भी इस दिशा में पूरी तरह से गंभीर दिखाई नहीं दे रही है | विभागीय आला अधिकारी भी अपने स्वार्थों के कारण कोई खास दिलचस्पी उत्तराखंड की हरियाली को बचाने की दिशा में नहीं ले रहे हैं? मुख्य बात यह है कि प्रकृति भी आखिर इंसानों का कितना और कहां तक साथ उनके जीवन को बेहतर जिंदगी देने तथा स्वास्थ्य को अच्छा बनाने के लिए देती रहेगी? पहाड़ों से हरियाली जैसे-जैसे नष्ट हो रही है, वैसे-वैसे सत्ता में बैठे नेता और अधिकारीगण विकास करते हुए उसके साथ विनाश की लीला भी लिख दे रहे हैं, जो कि एक वास्तविक सच्चाई है| पहाड़ों की सुंदरता नष्ट करते हुए सड़कों का चौड़ीकरण करना एवं पहाड़ों को काट-काट कर गांव से गांव को जोड़ते हुए रास्ते निकालना, यह सब वास्तव में हरियाली को ही नष्ट करने का कार्य कर रहा है | ऐसे में कई सवाल सत्तारूढ़ सरकारों एवं उन पर्यावरण के प्रेमियों पर उठ जाते हैं जो कि पर्यावरण को बचाने के लिए प्रयास तथा हो-हल्ला तो बहुत कर रहे हैं और करते रहे हैं, लेकिन पर्यावरण को बचाया नहीं जा रहा है| जिससे यह पर्यावरण असुरक्षित होता जा रहा है | जीव-जंतुओं की सांसो के लिए जहां पानी एवं हरियाली सीधे सांसो तक जुड़ी हुई है, वही हरियाली एवं पर्यावरण से खिलवाड़ करने वालों को प्रकृति समय-समय पर मजा भी चखा रही है, जिसको कि इंसान तथा सत्ता का सुख भोगने वाले महानुभावों को महसूस ही नहीं हो रहा है | यह कहा जा सकता है कि सत्ता में बैठे महानुभाव एवं विनाश की लीला लिखने वाले इंसानो के कारण ही प्रकृति आए दिन रौद्र रूप दिखाती रहती है, साथ ही चौड़ी-चौड़ी एवं लंबी-लंबी सड़कों पर भीषण व जानलेवा दुर्घटनाएं घटित हो रही है | राज्य की राजधानी देहरादून के कई जंगलों में वन एवं भू माफियाओं द्वारा आग लगाकर तथा रसायनिक केमिकल डालकर अब तक कई वनों को नष्ट किया जा चुका है| ऐसे में भला पर्यावरण कहां से सुरक्षित रह पाएगा? यह हम सभी के लिए बहुत ही बड़ा चिंता का विषय है | समय-समय पर पर्यावरण को बचाने एवं वनों की सुरक्षा एवं संवर्धन के लिए लाखों-लाखों, करोड़ों-करोड़ों रुपए खर्च करके राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन/ सेमिनारो का आयोजन किया जाता रहा है, लेकिन इनमें लिए गए फैसलों तथा बनाई गई नीतियों पर कितना अमल किया गया है? यह भी एक बड़ा विचारणीय गंभीर विषय है |

उत्तरांचल क्राइम न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट

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