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पापा चिंता मत कीजिए, मैं ठीक हूं पर यहां …बस इतना कहने के बाद कट गया अक्षत का फोन,परिजन अब बेचैन |

पापा चिंता मत कीजिए, मैं ठीक हूं पर यहां ...बस इतना कहने के बाद कट गया अक्षत का फोन,परिजन अब बेचैन |

पापा चिंता मत कीजिए, मैं ठीक हूं पर यहां ...बस इतना कहने के बाद कट गया अक्षत का फोन,परिजन अब बेचैन |

पापा चिंता मत कीजिए, मैं ठीक हूं पर यहां …बस इतना कहने के बाद कट गया अक्षत का फोन,परिजन अब बेचैन |

राजकीय जिला कोरोनेशन अस्पताल में वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ एवं प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ डीपी जोशी ने बताया कि आज बृहस्पतिवार सुबह उनके अपने बेटे अक्षत जोशी से मोबाइल पर बात हुई थी।
यूक्रेन और रूस के बीच छिड़ी जंग को लेकर वहां पर रह रहे देहरादून के छात्रों के परिजन भी चिंतित हैं। कुछ छात्रों की अपने परिजनों से मोबाइल पर बात भी हुई है। जिन्होंने वहां फिलहाल ठीक होने की बात कही है, लेकिन आज सुबह जो तस्वीरें सामने आई उसने परिजनों को डरा दिया है।

राजकीय जिला कोरोनेशन अस्पताल में वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ एवं प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ डीपी जोशी ने बताया कि यूक्रेन में बिगड़ते हालात के चलते उनका परिवार चिंतित है। आज बृहस्पतिवार सुबह उनकी अपने बेटे अक्षत जोशी से मोबाइल पर बात हुई थी। अक्षत ने बताया कि इमरजेंसी लगने की वजह से मॉल आदि में भीड़ है। लोगो सामान जोड़ रहे हैं।

अक्षत ने बताया कि वहां पर पीने के पानी की अत्यधिक समस्या है। इसलिए पीने का पानी भी मॉल से बोतल खरीद कर लाना पड़ता है। जिससे यह समस्या बनी हुई है। अक्षत जोशी यूक्रेन के खारकिव शहर से एमबीबीएस कर रहे हैं। उनका एमबीबीएस का तीसरा वर्ष है।
यूक्रेन में बढ़ते चिंताजनक हालातों के मद्देनजर परिवार वालों के कहने पर अक्षत जोशी ने 27 फरवरी की फ्लाइट बुक कराई थी। कुछ देर बात होने के बाद अक्षत का फोट कट गया। और फोन नहीं लगने से माता-पिता बेचैन हैं। 28 फरवरी को उसे भारत पहुंचना था। कीव में रूसी सेना के घुसने की वजह से फ्लाइट पर भी संकट खड़ा हो गया है।
खारकीव से 9-10 घंटे की दूरी तय कर फ्लाइट से कीव आना था। उसके बाद कीव से उसे भारत के लिए फ्लाइट पकड़नी थी। फिलहाल उनके समेत कई छात्रों और अन्य लोगों के भारत आने पर संकट बना हुआ है। और यहां देहरादून में उनका परिवार चिंता में है। यूक्रेन की राजधानी कीव समेत लिवीव, खारकीव जैसे शहरों में मेडिकल की पढ़ाई के लिए देहरादून से गए छात्र और छात्राओं के परिजन उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।

परिजन चाहते हैं कि जल्द से जल्द यूक्रेन में फंसे उनके बच्चों को भारत सुरक्षित लाया जाए। हाथीबड़कला केंद्रीय विद्यालय में अध्यापिका रश्मि बिष्ट का बेटा सूर्यांश सिंह बिष्ट यूक्रेन के लिवीव मेडिकल कालेज में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है। रश्मि को भी बेटे की चिंता सताने लगी है।

उत्तरांचल क्राइम न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट |

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