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पंजाब के गेहूं व्यापारियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है रूस-यूक्रेन युद्ध, जानिए कैसे?

पंजाब के गेहूं व्यापारियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है रूस-यूक्रेन युद्ध, जानिए कैसे?

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध ज्यादातर लोगों के लिए आफत लेकर ही आया है, लेकिन यही युद्ध कुछ क्षेत्रों के लिए अच्छा भी साबित हुआ है. सबसे ज्यादा संकट आम लोगों पर है, क्योंकि क्रूड ऑयल महंगा होने की वजह से पेट्रोल और डीजल के दाम तेजी से बढ़ने को लगभग तैयार हैं. लेकिन पंजाब के गेहूं व्यापारियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.

पंजाब के गेहूं व्यापारियों को इससे कुछ उम्मीद बंधी है कि इस बार उन्हें फायदा हो सकता है. दरअसल, रूस और यूक्रेन दुनिया में 40 प्रतिशत गेहूं की सप्लाई करते हैं. ऐसे में पंजाब के कारोबारियों को लगता है कि यदि युद्ध लंबा खिंचा तो भारत के गेहूं की मांग अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ेगी, जिससे किसानों और व्यापारियों को सही दाम मिलेंगे.
2019 के आंकड़ों के मुताबिक, रूस दुनिया में सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक देश था. वहीं, युद्धग्रस्त यूक्रेन इस मामले में पांचवें नंबर पर था. न्यूज 18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में 40 फीसदी गेहूं का निर्यात यही दो देश करते हैं. व्यापारियों का कहना है कि यदि युद्ध लंबा खिंचता है तो दोनों देशों से गेहूं के निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. इस स्थिति में भारत गेहूं का बड़ा निर्यातक देश बन सकता है.

अगर भारत की बात करें तो पंजाब में अच्छी क्वालिटी की गेहूं की उपज होती है, लेकिन उसका निर्यात सिर्फ श्रीलंका और बांग्लादेश तक ही सीमित है. यहां तक कि भारत में भी बड़ी-बड़ी कंपनियां रूस और यूक्रेन की गेहूं की ओर निगाहें रखती हैं, लेकिन व्यापारियों का कहना है कि इस युद्ध के बाद भारत के गेहूं की मांग बढ़ सकती है. पंजाब के खन्ना सिटी में एशिया की सबसे बड़ी अनाज मंडी है, लेकिन पिछले कुछ समय से यह वीरान पड़ा है. यहां खरीददार बहुत कम ही पहुंच रहे हैं. लेकिन आजकल यहां के किसान और व्यापारी रूस-यूक्रेन युद्ध पर टकटकी लगाए हुए हैं.

उत्तराँचल क्राइम न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट |

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