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उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में भारी बारिश के बाद नदियां उफान पर |

उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में भारी बारिश के बाद नदियां उफान पर

उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में भारी बारिश के बाद नदियां उफान पर है। नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। काली नदी का जलस्तर चेतावनी लेवल के पार पहुंच गया है। प्रशासन ने अर्ल जारी किया है।
उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में भारी बारिश के बाद नदियां ऊफान पर हैं। नदियों के जलस्तर बढ़ने से किनारों पर रह रहे लोगों की नींद भी उड़ गई है। पिथौरागढ़ के धारचूला में लगतार बारिश हो रही है। बारिश के बाद काली नदी का जलस्तर चेतावनी लेवल से पार चला गया है। धारचूला में काली नदी का चेतावनी लेवल 889 है, जबकि नदी 889.15 पर बह रही है।
नदी के तेज प्रवाह को देख तट पर बसे लोगों में भय बना हुआ है। मानसून में भारी बारिश को देखते हुए प्रशासन भी अलर्ट मोड पर आ गया है। तो दूसरी ओर, सरकार ने 30 सितंबर तक कर्मचारियों की छुट्टियों पर रोक लगा दी है। आपदा के समय रिस्पांस टाइम को कम करने के लिए स्थानीय पुलिस सहित एसडीआरएफ भी संवदेनशील इलाकों पर तैनात की गई है।

पहाड़ों में हो रही बारिश से शारदा नदी का जलस्तर बढ़ा

टनकपुर। पहाड़ों में हो रही बारिश के बाद शारदा नदी का जल स्तर लगातार बढ़ रहा है। शारदा घाट किनारे बसे लोगों को एनएचपीसी लगातार अलर्ट कर रहा है। बीते सोमवार शारदा नदी का जलस्तर 36 हजार क्यूसेक पहुंच गया था। जो अब बढ़कर 39 हजार क्यूसेक पहुंच चुका है।

गंगा नदी का भी बढ़ा जलस्तर

पर्वतीय जिलों में बारिश के बाद गंगा नदी का भी जलस्तर बढ़ गया है। प्रशासन की ओर से अलर्ट जारी किया गया है। हालांकि, राहत की बात है कि चेतावनी निशान से गंगा फिलहाल नीचे ही है। गंगा नदी के किनारों पर रहने वालों को हिदायत दी जा रही है कि वह अनावश्यक नदी में न जाएं। साथ ही, अलर्ट भी रहें।

मौसम विभाग का बारिश को लेकर अलर्ट

उत्तराखंड में मौसम विभाग ने बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया है। 05 जुलाई से अगले तीन ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जबकि
सात और आठ जुलाई को विभाग की ओर से येलो अलर्ट जारी किया है। पांच और छह जुलाई को देहरादून, टिहरी, पौड़ी, नैनीताल, चंपावत जिलों में कहीं-कहीं भारी से बहुत भारी बारिश की आशंका है। जबकि सात और आठ जुलाई को नैनीताल, बागेश्वर, देहरादून जिलों में कहीं-कहीं भारी बारिश के आसार हैं।

गोमती नदी बनी डंपिंग जोन, नदी में डाला जा रहा है मलबा

बागेश्वर। जनपद में सरकार के निर्मल गंगा अभियान को चलाने वाले नदियों को स्वच्छ रखने के लिए कितने गंभीर हैं, यह गोमती नदी के हालत को देख कर लगता है। बागेश्वर- सोमेश्वर मार्ग में थौणांई के समीप कुछ निर्माण कर्ता गोमती नदी में मलबा डाल रहे हैं परंतु इसको रोकने वाला कोई नहीं है।

प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के आहवान पर नदियों को बचाने के लिए निर्मल गंगा अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत कुछ विशेष दिन में नदियों को बचाने के लिए रैली निकाली जाती है तथा कुछ कथित समाजसेवी भी नदी में सफाई अभियान की औपचारिकता करके सोशल मीडिया व समाचार पत्रों में फोटो प्रकाशित करवाते हैं, इसके बाद नदियों की सफाई के लिए क्या हो रहा है।

किसी को कोई मतलब नहीं रहता है। बागेश्वर- सोमेश्वर मोटर मार्ग में थौणांई के समीप लंबे समय से स्थानीय भवन निर्माण कर्ताओं ने कई टन मलबा गोमती नदी में डाला जिस पर प्रशासन ने कार्रवाई की बात कही थी, परंतु इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इधर गत दिवस एक बार फिर से भवन निर्माण कर्ताओं द्वारा गोमती नदी में मिट्टी डाली जा रही है।

थौणाई के पास शिव मंदिर के समीप विभाग द्वारा प्रतिदिन डंपर के माध्यम से मलबा डाला जा रहा है जिससे गोमती नदी में मलबा जमा हो रहा है। बता दें कि कुछ किमी आगे आकर यही मलबा सरयू नदी में आ रहा है। जिससे सरयू नदी भी प्रभावित हो रही है। स्थानीय जनता ने प्रशासन से नदी में मलबा डाले जाने पर रोक लगाए जाने की ग की है। इधर एसडीएम हरगिरी ने कहा कि क्षेत्र में नियमित गश्त की जाएगी। पकड़े जाने पर कार्रवाई होगी।

उत्तराँचल क्राइम न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट |

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