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स्वास्थ्य मंत्री द्वारा लगाया गया पौधा प्यास से तोड़ रहा दम |

स्वास्थ्य मंत्री द्वारा लगाया गया पौधा प्यास से तोड़ रहा दम |

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के निदेशालय में करीब 1 वर्ष पूर्व लगाया गया पौधा देखभाल से है “मेहरूम”

पौधे को पानी न दिए जाने के कारण सूखने की कगार पर है स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का लगाया गया पौधा

देहरादून- प्रतिवर्ष बरसात के दिनों में पौधारोपण के तमाम कार्यक्रम तो किए ही जाते हैं, तो वहीं दूसरी ओर अन्य कई अवसरों पर भी जनप्रतिनिधियों, मंत्रियों एवं स्वयं मुख्यमंत्री के साथ ही कई समाजसेवी संस्थाओं द्वारा पौधारोपण पर्यावरण को हरा-भरा बनाए रखने हेतु किए जाते रहे हैं, लेकिन मुख्य बात यह है कि इनमें से कितने पौधों की देखभाल हो पाती है और कितनों की नहीं? छोटे-छोटे पौधे रोपित करना बेहद आसान है, परंतु उन्हें बड़ा करने के लिए उनकी देखभाल सही ढंग से समय-समय पर नहीं की जाए तो पौधे निश्चित रूप से दम तोड़ देते हैं | पानी के अभाव में सूखकर अपना अस्तित्व ही खत्म कर देते हैं | ऐसे पौधे लगाने से क्या फायदा जिन की देखभाल कर उन्हें बड़ा नहीं किया जाता| विश्व पर्यावरण दिवस मनाने के तहत समूचे भारत में पर्यावरण को हरा भरा बनाए रखने के लिए पौधों का रोपण बेहद जरूरी है, जिससे कि जीवन को स्वास्थ्यवर्धक सांसे हासिल होती है | यह कहना ज्यादा बेहतर है कि पेड़-पौधे ही मानव व जीव-जंतुओं को ऑक्सीजन देते हैं तभी जाकर सभी जीवित रह पाते हैं | यही समझकर जनप्रतिनिधि एवं समाजसेवी संस्थाएं समय-समय पर पौधारोपण करते रहते हैं | इसी पौधारोपण के तहत उत्तराखंड की राजधानी दून स्थित चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के निदेशालय में भी स्वयं राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने पौधारोपण किया था| स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रावत द्वारा किए गए इस पौधारोपण पर आज कोई भी ध्यान स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीगण नहीं दे रहे हैं, जिस कारण से यह पौधा दम तोड़ता हुआ दिखाई दे रहा है | कहने का अभिप्राय यह है कि यह पौधा करीब 1 वर्ष का हो चुका है, लेकिन उसके लिए न तो क्यारी बनाई गई है और न ही उसको सिंचित करने के लिए पानी ही दिया जा रहा है|ऐसा होने के कारण स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत द्वारा अपने पिछले कार्यकाल के दौरान लगाया गया यह पौधा दम तोड़ता दिखाई दे रहा है | स्वास्थ्य महानिदेशालय के प्रवेश द्वार के अंदर प्रवेश करते ही यह पौधारोपण किया गया था| सवाल यह है कि आखिर क्या पौधा रोपण करने के उपरांत उसकी देखभाल करने एवं उसे पानी-खाद इत्यादि देने की जिम्मेदारी नहीं होती?

उत्तराँचल क्राइम न्यूज़ के लिए ब्यूरो रिपोर्ट |

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